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नवरत्न एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “नौ पारा” और यह नौ ग्रहों से संबंधित है। नवा शब्द का अर्थ है ‘नौ’ और रत्न का अर्थ है “पारा”। प्रत्येक रत्न नवग्रहों में एक ग्रह से संबंधित है। नवरत्न रत्न शुभ माने जाते हैं और माना जाता है कि इसे पहनने वालों को अच्छी सेहत, समृद्धि, सुख और शांति मिलती है। नवरत्न रिंग (नौ-पारा) ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा या पुरुषोचित प्रभाव से बचाता है और रत्नों के सकारात्मक प्रभावों को मजबूत करता है।

“दिव्य नौ-पारा अंगूठी”
ज्योतिष के अनुसार ग्रहों के प्रभावों के सामान्य संतुलन के लिए नवरत्न किसी को भी पहना जा सकता है। उनके नवरत्न की अंगूठी में रत्न इसमें सूर्य के लिए रूबी या माणिक्‍य, चंद्रमा के लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु बृहस्पति के लिए पुखराज, शुक्र ग्रह के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए कैट्स आई यानी लहसुनिया रत्न शामिल हैं। इसमें कुछ दिव्य गुण है। इस वलय के विभिन्न पत्थर संबंधित ग्रहों की किरणों को अवशोषित करते हैं और व्यक्ति को लाभ प्रदान करते हैं कार्य क्षेत्र में सफलता, व्यापार में सुधार  एवं धन की आवक में वृद्धि के लिए अवश्य धारण करे
रत्न शास्त्र के अनुसार नौ पारा अंगूठी सभी नौ ग्रहों (Nav Grah) का प्रतिनिधित्व करती है. इस अंगूठी में लगे हुए सभी नवग्रहों के बुरे प्रभावों को कम करती है. इससे पहनने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है. इसमें कुछ दिव्य गुण है। इस वलय के विभिन्न पत्थर संबंधित ग्रहों की किरणों को अवशोषित करते हैं और व्यक्ति को लाभ प्रदान करते हैं
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    अष्‍टधातु : यह अंगूठी अष्‍टधातु में बनाई गई है। यह सभी धातुओं में श्रेष्‍ठ और अत्‍यंत फलदायी है। अष्‍टधातु का महत्‍व ऋषि मुनियों ने विभिन्‍न ग्रंथों लेखों में बताया है। इसके अनुसार अष्‍टधातु नवग्रह दोष को खत्‍म करता है। अष्‍टधातु के त्‍वचा पर स्‍पर्श से शरीर रोगों से भी मुक्‍ति प्राप्‍त करता है।
    पारा : पारा दुनिया में पाई जाने वाली सभी धातुओं में सबसे शुद्ध और एकलौती तरल धातु है। इसे पास रखने से वातावरण शुद्ध होता है। मां लक्ष्‍मी को प्रीय होने के कारण इसके प्रभाव से व्‍यापार और काम काज में बहुत तेजी से वृद्धि‍ होती है। यह बल कारक भी है।
    गंगा नाव की कील: इस अंगूठी में गंगा नाव की कील को भी कलात्‍मक रूप से जोड़ा गया है। जिसे अंगूठी के दाई बाई तरफ देखा जा सकता है। गंगा नाव की कील के प्रभाव के बारे में कहा जाता है कि ये शनि के दोष को दूर करता है और धारण करने वाले को नजर दोष से भी बचाता है। गंगा की नाव की कील कई प्रकार की बाधाओ जैसे की शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि को रोकने में बहुत कारगर है।
    नौ पारा अष्टधातु की अंगूठी पहनने का सही तरीका:
    0 : ९ पारा अष्टधातु की अंगूठी पहनने का सही तरीका यह है कि इसे अनामिका उंगली में पहना जाए। अनामिका उंगली को सूर्य की उंगली भी कहा जाता है। सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक माना जाता है। इसलिए अनामिका उंगली में ९ पारा अष्टधातु की अंगूठी पहनने से आत्मा मजबूत होती है और व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं।
    0 : रत्‍न शास्‍त्र के अनुसार ९ पारा अष्टधातु अंगूठी में सभी 9 रत्न बराबर वजन के लगे होने चाहिए. रत्‍नों के वजन में अंतर ग्रह के प्रभाव पर नकारात्‍मक असर डाल सकता है, इसके अलावा ९ पारा अष्टधातु अंगूठी धारण करने के लिए किसी भी महीने के शुक्‍ल पक्ष के शुक्रवार या रविवार को धारण करना चाहिए. साथ ही शुभ मुहूर्त भी देख लें।
    0 : ९ पारा अष्टधातु अंगूठी धारण करने के लिए सही समय सूर्योदय के 1 घंटे बाद का होता है।

    ॥ नौ-पारा अंगूठी के प्रमुख लाभ ॥

    • नौ पारा अष्टधातु में आठ प्रकार की धातुएं होती हैं, जिनमें सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा और पारा शामिल हैं। इन धातुओं में से प्रत्येक की अपनी एक विशेष ऊर्जा होती है। अष्टधातु की अंगूठी पहनने से इन सभी धातुओं की ऊर्जा मिलकर व्यक्ति को कई लाभ प्रदान करती है
    • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नौ पारा अष्टधातु की अंगूठी पहनने से नवग्रहों का प्रभाव संतुलित होता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता आती है
    • नौ पारा अष्टधातु की अंगूठी पहनने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। यह रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह आदि जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद करती है।
    • नौ पारा अष्टधातु की अंगूठी पहनने से व्यक्ति की मानसिक शक्ति बढ़ती है। इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होता है
    • गंगा की नाव की कील कई प्रकार की बाधाओ जैसे की शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि को रोकने में बहुत कारगर है।
    • नौ पारा अष्टधातु अंगूठी पहनने पर अष्टधातु नौ ग्रहों से होने वाली पीड़ा को शांत करती हैं जिससे सफलता के मार्ग खुलते है।
    • लक्ष्मी कृपा द्वारा पारिवारिक रिश्तो में मधुरता।
    • मानसिक शांति । 
    अष्टधातु की क्षमता, उपयोगिता एवं ज्योतिष लाभ के प्रमाण सुश्रुत संहिता, भविष्य पुराण आदि प्राचीनतम ग्रंथो सहित विकिपीडिया एवं न्यूज़ साईटस पर भी लेखो के माध्यम से उपलब्ध है।
    ज्योतिष महत्वो से भरे है नौ पारा अंगूठी के घटक आइये जानते है इनकी मान्यताओ एवं इनके प्रभावों के बारे में।
    0 : अष्टधातु में आठ प्रकार की धातुएं होती हैं, जिनमें सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा और पारा शामिल हैं। इन धातुओं में से प्रत्येक की अपनी एक विशेष ऊर्जा होती है। अष्टधातु की अंगूठी पहनने से इन सभी धातुओं की ऊर्जा मिलकर व्यक्ति को कई लाभ प्रदान करती है।
    0 : नौ पारा अंगूठी पहनने से जीवन से नकारात्‍मकता दूर होती है। पर्सनालिटी मजबूत होती है, सेहत संबंधी समस्‍याएं नहीं होती हैं, सौभाग्‍य बढ़ता है, कामों में सफलता मिलती है।
    0 : नौ पारा अष्टधातु अंगूठी सभी 9 ग्रहों का प्रतिनिधित्‍व करती है इसलिए इन ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर होते हैं और शुभ फल में इजाफा होता है, शरीर में सकारात्‍मक ऊर्जा बढ़ने से व्‍यक्ति का साहस, उत्‍साह बढ़ता है।

    जानिए हमारे कुछ प्रिय ग्राहकों के अनुभव

    जानिए इस अद्भुत दिव्य नौ-पारा अंगूठी के बारे में।
    क्या होती है नौ-पारा अष्टधातु ?
    अपने नाम के अर्थ के अनुसार यानि की आठ धातुओं से मिलकर बनी धातु को अष्टधातु कहा जाता है। अष्टधातु जिन आठ धातुओं से मिलकर बनती है, वे हैं सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, पारा, रांगा, लोहा (गंगा की नाँव की कील)।
    नौ-पारा अष्टधातु की अंगूठी कौन पहन सकता है?
    नौ-पारा अष्टधातु अंगूठी धारण करने से व्यापारी वर्ग के कारोबार में अच्छा लाभ होता है। नौ-पारा अष्टधातु अंगूठी को धारण करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता बढ़ती है। नौ-पारा अष्टधातु अंगूठी से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। नौ-पारा अष्टधातु अंगूठी से ग्रहों से जो सेहत संबंधी समस्याएं होती हैं, उससे भी निजात मिल सकती है।
    नौ-पारा अष्टधातु की अंगूठी पहनने से क्या होता है?
    नौ-पारा अष्टधातु अंगूठी पहनने से आर्थिक लाभ होने की मान्यता है। साथ ही ग्रहों का जो अशुभ प्रभाव व्यक्ति के ऊपर पड़ता है, वो भी अंगूठी धाऱण करने से कम होता है। नवग्रह अंगूठी धारण करने से शरीर में सकारात्‍मक ऊर्जा बढ़ने से व्‍यक्ति का साहस, उत्‍साह बढ़ता है। साथ ही कारोबार में अच्छा लाभ होता है
    नौ-पारा अष्टधातु अंगूठी को किस उंगली में धारण करना चाहिए ?
    वैदिक ज्योतिष के अनुसार, महिलाओं को अपनी बायीं उंगलियों में नौ-पारा अष्टधातु अंगूठियां पहननी चाहिए, जबकि पुरुषों को इसे अपनी दाहिनी उंगलियों में पहनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा ९ पारा अष्टधातु अंगूठी धारण करने के लिए किसी भी महीने के शुक्‍ल पक्ष के शुक्रवार या रविवार को धारण करना चाहिए. साथ ही शुभ मुहूर्त भी देख लें 
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