ये पवित्रतम बहुमुल्य धातु अंगूठी के रूप मे पहनने पर भाग्योदय, कार्य सिद्धि और धन प्राप्ति के प्रबल मार्ग बनाती है। इसके अलावा कई प्रकार की बाधाओ जैसे के शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि के निवारण में उपियोगि है।
“दिव्य पारामणि अष्टधातु अंगूठी”
यदि आप अष्टधातु से बनी कोई भी चीज पहनते हैं तो आप सभी नौ ग्रहो से होने वाली पीड़ा को शांत कर सकते हैं और हाँ ये जरूरी नहीं की आप अष्टधातु से बनी से कोई चीज पहने ही आप अपने घर या ऑफिस में रखते हो तो भी इन नौ ग्रहो से होने वाली पीड़ा को शांत करता है। कार्य क्षेत्र में सफलता, व्यापार में सुधार एवं धन की आवक में वृद्धि के लिए अवश्य धारण करे।
ज्योतिष विज्ञान के कुछ रहस्य ऐसे है जिनसे मानव जीवन का कल्याण सुनिश्चित है, उन्ही रहस्यों में से एक है पारामणि अष्टधातु अंगूठी, इसकी विशेष बनावट धारण करने वाले व्यक्ति का भाग्य जाग्रत करती है, कार्य बाधाओ को दूर कर सफलता के नए मार्ग खोलती है|
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0 अगर कोई रत्न पहना हुआ है तो उसकी प्रभावशीलता में वृद्धि होगी और अगर नहीं पहना है तो ये किसी भी रत्न की जरुरत नहीं पड़ने देती।
0 रेकी चार्ज पारामणि अंगूठी व्यक्ति के आस पास सुरक्षा कवच का निर्माण करती है, जिससे कोई भी कष्ट आप को छु नहीं पाते एवं आती कठिनाईयों से सुरक्षा होती है ।
0 अष्टधातु का मनुष्य के स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है। यह हृदय को बल देती है एवं मनुष्य की अनेक प्रकार की बीमारियों का निवारण कर दीर्घायु बनती है।
0 जोड़ो के दर्द एवं उच्च रक्तचाप में अत्यंत राहतकारी होता है परामणि अष्टधातु अंगूठी पहनना ।
0 यह वात, पित्त, कफ का इस प्रकार सामंजस्य करती है कि बीमारियां कम होती हैं एवं स्वास्थ्य अच्छा रहता है। ।
0 शुद्ध अष्टधातु से निर्मित पारामणि अंगूठी मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती है जिससे व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, परिणामस्वरुप तरक्की और आर्थिक संपन्न्ता के मार्ग खुलते हैं।
0 इसके मणि भाग में पारा व्यापार के विकास और भाग्य जगाने के लिए सूर्य एवं बुध प्रबल करता है।
0 गंगा की नाव की कील कई प्रकार की बाधाओ जैसे की शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि को रोकने में बहुत कारगर है।
0 पारामणि अंगूठी पहनने पर अष्टधातु नौ ग्रहों से होने वाली पीड़ा को शांत करती हैं जिससे सफलता के मार्ग खुलते है ।
0 पूर्णतः हानीरहित, इसके पहनने के केवल लाभ ही देखे गए है ।
॥ पारामणि अष्टधातु अंगूठी के प्रमुख लाभ ॥
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अष्टधातु का मुनष्य के स्वास्थ्य से गहरा सम्बंध है यह हृदय को भी बल देता है एवं मनुष्य की अनेक प्रकार की बीमारियों को निवारण करता है ।
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व्यापार के विकास और भाग्य जगाने के लिए शुभ मुहूर्त में अष्टधातु की अंगूठी या लॉकेट में लाजवर्त धारण करें। यह एक बहुत प्रभावशाली उपाय है, सोया भाग्य जगा देता है ।
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अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा धारण करने पर यह मानसिक तनाव को दूर कर मन में शान्ति लाता है। यहीं नहीं यह वात पित्त कफ का इस प्रकार सामंजस्य करता हैं कि बीमारियां कम एवं स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव होता है ।
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यदि आप अष्टधातु से बनी कोई भी चीज पहनते हैं तो आप सभी नौ ग्रहो से होने वाली पीड़ा को शांत कर सकते हैं और हाँ ये जरूरी नहीं की आप अष्टधातु से बनी से कोई चीज पहने ही आप अपने घर या ऑफिस में रखते हो तो भी इन नौ ग्रहो से होने वाली पीड़ा को शांत करता है ।
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अष्टधातु मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव डालता है | अष्टधातु पहनने से व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। धीरे-धीरे सम्पन्नता में वृद्धि होती है |
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गृह एवं व्यापर बाधा उन्मूलन में सहायता।
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लक्ष्मी कृपा द्वारा पारिवारिक रिश्तो में मधुरता।
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मानसिक शांति, मानसिक एवं बौद्धिक लाभ, व्यापार एवं भाग्य व्रद्धि, स्वास्थ्य लाभ
शुद्ध अष्टधातु से निर्मित नाम राशी से सिद्ध पारामणि अंगूठी नवग्रहों को बैलेंस कर कुंडली के दोषों का निवारण करती है, परिणाम स्वरुप पहनने पर भाग्योदय, कार्य सिद्धि और धन प्राप्ति के प्रबल मार्ग बनते है, अनेक बाधाएं जैसे शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि दूर होकर व्यापार में लाभ एवं रोजगार में उन्नति के अवसर खुलते है।
पारामणि अंगूठी को कौन और कैसे धारण कर सकता है?
0 जिन जातको के जीवन में लगातार समस्याए बनी रहती है, अत्यधिक परिश्रम के बाद भी अनुकूल परिणाम नहीं मिलते, अथवा जो व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र या व्यापार में निर्बाध सफलता एवं वृद्धि चाहते है उन्हें पारामणि अंगूठी धारण करना चाहिए।
0 यह विशिष्ट अंगूठी स्त्री अथवा पुरुष दोनों ही धारण कर सकते है, यह पुर्णतः हानिरहित है।
0 यह ज्योतिष-विज्ञान का अनोखा शोध है, इसे नाम राशी के अनुसार सिद्ध किया जाता है अतः इसे किसी भी राशी, उम्र अथवा धर्म का व्यक्ति धारण कर लाभ प्राप्त कर सकता है।
0 पारामणि अंगूठी किसी भी अंगुली में धारण की जा सकती है परन्तु तर्जनी एवं अनामिका श्रेष्ट है, सुविधा एवं स्पष्टता के लिए धारण विधि साथ में दी जाती है। ।
0 पारामणि अंगूठी रेकी पद्धति द्वारा सिद्ध की जाती है अतः पुरुषो को दाहिने हाथ एवं महिलाओ को बाये हाथ में धारण करना लाभकारी है ।
अष्टधातु की क्षमता, उपयोगिता एवं ज्योतिष लाभ के प्रमाण सुश्रुत संहिता, भविष्य पुराण आदि प्राचीनतम ग्रंथो सहित विकिपीडिया एवं न्यूज़ साईटस पर भी लेखो के माध्यम से उपलब्ध है।
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कुंडली में अगर दोष हो अथवा ग्रहों की दशाये ठीक न हो तो व्यक्ति को व्यापार,रोजगार, परिवार सम्बंधित अनेक कष्ट उठाने पड़ते है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति अनेक जतन करता है कई तरह से उपाय करने के बाद भी उचित परिणाम नहीं मिलते ऐसे में पारामणि अंगूठी संजीवनी का कार्य करती है ।
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यह अंगूठी पहनने वाले जातक के शरीर के संपर्क में रहते हुए उसे पाप ग्रहों ( मंगल, शनि, राहु केतु ) एवं कुंडली जनित दोषो के दुष्प्रभावो से संरक्षण देती है यह इसकी कार्यप्रणाली का मूल सिद्धांत है ।
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धन, यश, बल, कार्यो एवं व्यापार में सफलता, ग्रहों के दोष, कुंडली दोष,पाप ग्रहों के दुष्प्रभावो से संरक्षण एवं जीवन में उन्नति के लिए अत्यंत ही प्रभावशाली यह अंगूठी कुछ ही दिनो में अपना काम करना शुरू करती है और अनुकूल परिणाम प्रदान करती है।
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पारामणि अंगूठी की बनावट ज्योतिष शाश्त्र में विदित मानव जीवन की बधाओ उनके कारकों एवं उनके उपयुक्त समाधान के उपायों का सूक्ष्म अध्यन कर के बनायीं गयी है, अतः जो व्यक्ति इसे विश्वास के साथ धारण करता है उसे प्रत्यक्ष लाभ देखने को मिलते है